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Thursday 15 September 2011

एक पगली- सुविधि





आप लोग जानते है ना इसे?अरे सुविधि है ये. जो इसे मालूम पड गया कि
मैंने इसका परिचय अपने स्टाफ मेम्बर के रूप में कराया है तो समझिए ….देवी को मनाना भारी पड जाएगा मेरे लिए.बेहद ईर्ष्यालु किस्म की है ये.
इसके सामने मैं किसी का भी ज्यादा नाम भी ले लूँ तो इसे सहन नही होता. अक्सर कहती हूँ ना मैं ईश्वर की बडी लाडली बेटी हूँ.तभी तो उसने मुझे इतने प्यारे लोगों से ना सिर्फ मिलाया आत्मा से जोड़ दिया और अद्भुत अनुभव दिए.
सुविधि को मैं ‘सुवी' बुलाती हूँ, ना सुने तो ‘सु-सु'  भी कह देती हूँ और वो हंसती हुई मेरे पास आ जाती है.
बेहद शर्मीली और कम बोलने वाली ये अब मेरे साथ एक कमिटमेंट कर चुकी है कि अगले जन्म में वो मेरी सबसे बडी बेटी बनेगी.
उसके प्यार की हद देखिये.

                   घटना नम्बर-एक

एक दिन बोली -‘आप जानते हैं पहले मेरी ऐसी इच्छा होती थी कि अपूर्वा को स्कूल के पीछे ले जा कर उसे खूब पीटू'
मैंने पूछा-‘क्यों? तुम्हारी ऐसी इच्छा क्यों होती थी?’
‘आप हर समय ‘मेरी अप्पू !मेरी अप्पू !' करते रहते थे ना इसलिए'-बिना लाग-लपेट उसने जवाब दे दिया अपना.
मैं आश्चर्य से उसका चेहरा देखती रह गई.

                      घटना दो

गोस्वामीजी किसी काम से स्कूल आये. मैं उनके पास जा के बैठ गई.थोड़ी देर बाद वे चले गये.मैंने देखा सुवी का मुंह फूला हुआ है.
''क्या हुआ ? मूड खराब क्यों है तेरा सुवी?''
‘‘सर ने बात करते समय आपको दो बार छुआ.मुझे इतना गुस्सा आया कि धक्का दे के उन्हें चेयर से गिरा दूँ'’’
‘’अरे! वो मेरे पति हैं,छू लिया तो क्या हुआ?’’
‘’नही.मेरे सामने आपको कोई छुए मुझे पसंद नही'’-सुवी की आवाज भर्रा रही थी.
''बाप रे! तू तो पिछले जनम में मेरा खतरनाक प्रेमी 'रहा होगा' '’-हा हा हा ठहाका लगाते हुए मैं उठी और उसे गले लगा लिया.

                  घटना तीन

‘सुवी! गरिमा के पापा ने रिश्ते के लिए मना कर दिया क्योंकि हम सनाढ्य ब्राह्मण नही है बस इसलिए''- मैंने सुविधि को बताया.
वो चहक कर बोली-''अच्छा किया उन्होंने’…….फिर अचानक रुक गई.बोली- ‘’मुझे तो अगले जन्म तक इंतज़ार करना पडेगा और ‘ये' आपसे इसी जन्म में मिल जाती.ऐसा कैसे हो सकता था?''
मैंने उसे गले लगा कर कहा–''कौन कहता है हम इस जन्म में अलग हैं?तू अगले जन्म में भी मेरी बेटी बनेगी और इस जन्म में भी बडी बेटी तू ही है.’’                                                           

                   घटना चार

एक दिन सुवी ने कहा-''मेडम! ‘ये' बहुत खर्च करते हैं.एक पैसा नही बचाते.मैंने कभी अपनी ‘पे' का भी हिसाब नही पूछा.पर ये रिश्तेदारों को प्लेन से यहाँ वहाँ ले जाते हैं,आखिर…????''
''प्लाट है ?’'-मैंने पूछा
‘हाँ है'
''जिद करके मकान बनवा ले सब चौकड़ी मारना भूल जायेंगे''- मैंने हंसते हुए उसे बहलाने को कह दिया.
………मकान के मुहूर्त पर मुझे जाना ही था. गई. वो आ के लिपट गई और अपने परिवार वालों के सामने बोली- ''देखो, मेडम ने कहा था न मकान बना लो ये चौकड़ी मारना भूल जायेंगे.सच में इनकी हालत टाईट कर दी ‘हमने’ ''
मैं हंसते हंसते लोट पोट हो गई-‘मूरख! मुझे मरवाएगी क्या?’
''ये तो मकान बनवाने की बात थी आप मुझे कहोगे ‘मर जा' मैं एक पल की देर नही करूंगी''  सबने उसकी बात सुनी.
मैं दंग थी कि कोई किसी को इस हद तक भी प्यार कर सकता है या सम्मान दे सकता है?

              घटना पांच

‘आप टेबलेट ले लो पहले'-सुवी ने लंच टाइम में मेरी हथेली पर टेबलेट रखते हुए बोला.
‘पर मैंने तो आधी रोटी खा भी ली, इसे तो खाना खाने से पहले लेनी होती है'
‘अरे! आप तो खा लो.इसे (टेबलेट को) क्या मालूम कि आपने आधी रोटी खा ली है'-सुवी का जवाब था.
मेरी शर्मीली कम बोलने वाली सुविधि बहुत शरारती और हाजिर जवाब हो चुकी है.

                घटना छः

जनगणना की शीट्स भरते हुए मैं अचानक बोली-‘ ये शीट्स भरने के बाद उत्तमीचंद जी मरे हैं. थे भी घर में दोनों पति पत्नी.इस समय उनकी पत्नी से इस पर अंगूठा भी कैसे लगवाने जाए? क्या करें?''
‘अरे! लाओ मैं लगा देती हूँ उत्तमीचंद जी का अंगूठा. आपकी सरकार भी उनके अंगूठे की जांच करने ‘वहाँ' नही जा सकती '

                    घटना सात

                         घटना है तो तीन चार साल पुरानी पर……..
रास्ते में एक ट्रक और ट्रोले आपस में भीड़ गये.ट्रोला एकदम ट्रक के दरवाजे से भिड़ा हुआ था जिस कारण घायल ड्राइवर को निकला नही जा सक रहा था.
सुविधि अपनी कार से वहाँ गुजरते हुए भीड़ देख रुक गई.कोई किसी को कह रहा था - ‘ये ट्रोला हट जाए तो ड्राइवर को निकाल सकते हैं पर कोई मदद नही कर रहा.’
दब्बू,गब्बू सी दिखने वाली सुविधि कार से निकली.पुलिस वाले को बोली-‘मैं हटा दूँ?’
पुलिस वाले इस दुबली पतली सीधी सादी सी दिखने वाली औरत को देख कर एकदम चुप हो गये.फिर बोले-‘आप ट्रोला हटा सकती हैं?’
सुविधि ट्रोले की ड्राइविंग सीट पर बैठी और….ट्रोले को खड्डे से निकाल कर सड़क के किनारे कर दिया.
''आप ट्रक ड्राइवर को बचा लीजिए प्लीज़. बस''-बिना थेंक्स का इंतज़ार किये वो स्कूल आ गई.
लोग आश्चर्य से देख रहे थे.वो रवाना हो चुकी थी.
आते ही मेरे गले से लटक गई-''आज मैंने एक अच्छा काम किया,मेडम!……….''

ये है शरारती,दुष्ट सुवी की अक्ल का एग्जाम्पल.बडी प्यारी है ना मेरी सुविधि?
कौन नही चाहेगा कि उनको भी पागलपन की हद तक प्यार करने वाले ‘ऐसे' लोग उनके जीवन में हो? है ना?


18 comments:



OM KASHYAP ने कहा…
suvi is great
प्रवीण पाण्डेय ने कहा…
मजा आ गया पढ़कर।
राज भाटिय़ा ने कहा…
वाह बहुत अच्छी ओर प्यारी हे आप की सू सू... लेकिन बच के रहना पडेगा इस सू सू, धन्यवाद
PADMSINGH ने कहा…
आपकी पोस्टें पढ़ कर लगता है आप अपने लोगों के बारे मे बढ़ा चढ़ा फेंकती होंगी... लेकिन मैंने ये स्नेह और अपनत्व की हकीकत अपनी आँखों से देखा है... लिख कर शायद ही इसे पूरी तरह व्यक्त किया जा सकता है। ये तो झलक मात्र है। जिसे अनुभव करना है वो चित्तौड़ जा के देखे ।
GirishMukul ने कहा…
बहुत उम्दा चर्चा में शामिल हैं आप
राजेश उत्‍साही ने कहा…
पढ़ते हुए ऐसा लग रहा था जैसे हम कोई सीरियल देख रहे हैं। यह सुवि के व्‍यक्तित्‍व का कमाल तो है ही,आपकी कलम का जादू भी है।
manu ने कहा…
गुड.... बड़ी साफ़-सच्ची लड़की है सुवी ... हमें उसके बारे में पढ़कर बहुत अच्छा लगा..... पर इंदु आंटी... हम उसकी उपस्थिति में आपसे नहीं मिलना चाहेंगे ... जाने हमारी क्या गत बना दे ये साफ़-सच्ची लड़की...
Mukesh Giri Goswami ने कहा…
सुवि ... को तो ऐसा बनना ही था, संगत जो आपकी मिली है... किसी शायर ने लिखा है "कौन कहता है शोहबत का असर होता है...? काँटों कि बीच रहकर कांटा ना बन सका" तो अब इस लाइन में संसोधन कि अवश्यकता महसूस हो रही है वैसे हमे इन मोहतरमा के बारे में अधिक जान ने कि उत्सुकता बने रहेगी..उम्मीद है जल्द ही और बातें सामने आएँगी ..!!!
Manoj K ने कहा…
आपकी सुवि का परिचय हम पहले ही पा चुके हैं. तीसरी घटना एक पूरी पोस्ट के रूप में हम पढ़ चुके हैं. जैसे आप सुवि का परिचय हमसे करवाती हैं, क्या हम ब्लॉगरस का परिचय भी इनसे करवाती हैं. बस ऐसे ही पूछ लिया.. ऐसेइच हैं अपुन तो ;) वैसे सुवि आपसे बे-इंतिहा प्रेम करती है. इस प्रेम को हमारा सलाम. manoj k
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन ने कहा…
घटना सात ... सादर नमन!
इंदु पुरी गोस्वामी ने कहा…
@अनुराग शर्मा जी-स्मार्ट इंडियन- इतने दिनों बाद आपको यहाँ देख ऐसा लग रहा है जैसे कोई अपना कई दिनों बाद मिले.थेंक्स
राजीव तनेजा ने कहा…
मन को मोहित करने वाले व्यक्तित्व की स्वामिनी ...सुवी. आपके प्रति सुवी के प्रेम को सादर नमन
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) ने कहा…
सुवि से जुड़ी हुई यादों को शेयर करने के लिए धन्यवाद!
kase kahun?by kavita. ने कहा…
kisi ka pyar isse achchhi dharohar to nahi bana hoga....aap aur aapki suvi ka pyar hamesha aise hi bana rahe...
बी एस पाबला ने कहा…
ओह! बाद में सोच समझ कर कमेन्ट करता हूँ कुछ ऊंच नीच हो गई तो आपका 'प्रेमी' कहीं ट्रोला ही ना चढा दे मुझ पर :-)
ललित शर्मा ने कहा…
ओह! बाद में सोच समझ कर कमेन्ट करता हूँ कुछ ऊंच नीच हो गई तो आपका 'प्रेमी' कहीं ट्रोला ही ना चढा दे मुझ पर :-) कमेंट पाबला जी से उधार क्योंकि मैं सुवी की ड्रायविंग देख चुका हूँ :)
आशीष/ ਆਸ਼ੀਸ਼ / ASHISH ने कहा…
माँ सा, मेरे बारे मे मत बता देना.... हा हा हा! आपके साथ-साथ मेरी भी शामत आ जाएगी! आप खुद अच्छी हो, इसीलिए अच्छे लोग मिल जाते हैं आपको! खड़े होके सैल्यूट, आज फोर ए चेंज आपको नहीं, सुवि ko! आपको..... प्यार! चरण स्पर्श! आशीष
निर्झर'नीर ने कहा…
hmm cahahte to sab hai koi aisa mile lekin milta use hi hai jisne oron ko is qadar chaha ho.. aapki suvi ko bhi aap jaise chahne vale milenge or aapko bhi suvi jaise ,kyuki jo doge vo hi paooge


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